माउंट आबू में MRP से अधिक वसूली जारी: एसडीएम साहब आपके कड़े निर्देशों के बावजूद हो रही शराब बिक्री पर MRP से अधिक वसूली! फिर क्यों नही हो रही कार्यवाही?

आज भी MRP से अधिक वसूली का खेल माउंट आबू में जारी, SDM के निर्देश के बावजूद जिम्मेदार नही कर रहे कार्यवाही, ठगे जा रहे ग्राहक, एक बार फिर FIRST BHARAT ने स्टिंग कर जानी धरातल की हकीकत।

  • गणपतसिंह मांडोली/ विक्रमसिंह करणोत

सिरोही। FIRST BHARAT की टीम ने 3 अगस्त को एक स्टिंग ऑपरेशन कर माउंट आबू स्थित शराब की दुकानों पर हो रही MRP से अधिक वसूली को लेकर पूरे मामले को उजागर किया था। जिसके बाद आबू एसडीएम अभिषेक सुराणा ने इसे आमजन के अधिकारों का हनन मानते हुए MRP से अधिक वसूली करने वाले के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के लिए आबकारी विभाग के जिम्मेदारों के साथ साथ पुलिस विभाग के जिम्मेदारों को भी निर्देश दिए थे। पर आज भी जमीनी हकीकत यही हैं कि माउंट आबू क्षेत्र में संचालित शराब की दुकानों पर MRP से अधिक कीमत ही वसूली जा रही हैं। एसडीएम अभिषेक सुराणा के निर्देशों की कितनी पालना की जा रही हैं इसी को जानने के लिए FIRST BHARAT की टीम ने एक बार फिर माउंट आबू की शराब दुकानों का स्टिंग ऑपरेशन करके हकीकत जाननी चाही तो यहां हालात जस के तस नज़र आए। आज भी यहां पर ग्राहकों से MRP से अधिक राशि ही वसूल की जा रही हैं। शराब की एक बोतल जिस पर MRP 1035 रुपये अंकित हैं। उसी बोतल के यहाँ पर 1080 रुपये वसूल किए गए। जब हमने सेल्समैन से पूछा कि MRP 1035 रुपये हैं तो 1080 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं तो सेल्समैन का जवाब वही मिला जो 3 अगस्त को मिला था। सेल्समैन ने कहा कि यहां MRP से नही पर्चा रेट से शराब बेची जाती है। पर्चा रेट के मतलब होता हैं शराब ठेकेदार द्वारा निर्धारित रेट। जो MRP से अधिक रेट ठेकेदार तय करता हैं। और उसी रेट में ये सेल्समैन शराब बेचता हैं। 

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आबकारी सीआई बोले "शहर की सभी 10 दुकानें एक ही ग्रुप द्वारा संचालित, एक पर जाते ही सभी हो जाते हैं अलर्ट"

आज भी जब इन दुकानों पर अंकित मूल्य से ज्यादा कीमत वसूलने को लेकर जब हमने आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर संजय अखावत से मोबाइल के जरिये सम्पर्क करके बातचीत की तो उनका गैरजिम्मेदाराना बयान ही सामने आया। सीआई संजय अखावत ने कहा कि "आपकी खबर के बाद हमने ओरिया स्थित शराब की दुकान पर कार्यवाही की थी, जहाँ MRP से अधिक की वसूली की जा रही थी। पर शहर के 10 ठेके एक ही ग्रुप के होने के कारण उन्हें तुरन्त भनक लग गई और हमारे वहां जाने पर MRP से ही शराब बेची रही थी। इसलिए कार्यवाही नही कर सके। आप खबर भेज दीजिए हम उसकी फिर से जांच करवा देंगे।" यानी आबकारी सीआई को ये स्पष्ट पता हैं कि माउंट आबू नगरपालिका की सभी 10 दुकानें एक ही ग्रुप द्वारा समझौता करके संचालित की जा रही हैं। बावजूद उनके द्वारा कार्यवाही नही करना ग्राहकों के हितों पर कुठाराघात करना ही हैं। जबकि आबकारी नियमों के अनुसार कोई भी दो दुकानदार आपस में पूल बनाकर दुकानें संचालित नही कर सकता। फिर आबकारी इंस्पेक्टर को इस बात की जानकारी होने के बावजूद इन ठेकेदारों के विरुद्ध कार्यवाही नही करना क्या दर्शाता हैं?