सिरोही ग्राम पंचायत जनापुर का कारनामा: कागजों में खोदी गोल नाड़ी, फर्जी मस्टररोल भरकर उठाया भुगतान,जांच में दोषी

महात्मा गांधी मनरेगा के कार्यों में किस हद तक फर्जीवाडा होता हैं इसकी बानगी पिंडवाड़ा पंचायत समिति की जनापुर ग्राम पंचायत के नरेगा कार्यों में देखी जा सकती हैं। ग्राम पंचायत के तकनीकी सहायक,भाजपा मंडल अध्यक्ष व रोजगार सहायक ने मिलकर मनरेगा योजना के अंतर्गत कागजों में ही नाड़ी खोदकर हजारों रुपए की राशि का गबन कर दिया।

गौरव अग्रवाल,
फर्स्ट भारत, पिंडवाड़ा।
महात्मा गांधी मनरेगा के कार्यों में किस हद तक फर्जीवाडा होता हैं इसकी बानगी पिंडवाड़ा पंचायत समिति की जनापुर ग्राम पंचायत के नरेगा कार्यों में देखी जा सकती हैं।
ग्राम पंचायत के तकनीकी सहायक,भाजपा मंडल अध्यक्ष व रोजगार सहायक ने मिलकर मनरेगा योजना के अंतर्गत कागजों में ही नाड़ी खोदकर हजारों रुपए की राशि का गबन कर दिया।
मामला तब खुला जब जनापुर गांव के युवा ने गोल नाड़ी खुदाई कार्य में हुए गबन की शिकायत मुख्य कार्यकारी अधिकारी को की गई।
शिकायत के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जांच कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। जांच में सामने आया कि गोल नाड़ी खुदाई पर बिना कार्य के ही 59 हजार 431 रुपये उठा लिए हैं।
मौके पर किसी श्रमिक द्वारा किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया गया हैं। जांच अधिकारी ने इस मामले में रोजगार सहायक देवाराम को उत्तरदायी ठहराया हैं।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने रोजगार सहायक को 59 हजार 431 रुपए की राशि ग्राम पंचायत को जमा करवाने के लिए पत्र जारी किया हैं।
भाजपा मंडल अध्यक्ष ने धोए बहती गंगा में हाथ
सरकार भले ही गरीब लोगों को 100 दिनों का रोजगार देने का दावा कर रही हो लेकिन सक्षम और नेताओं के परिवार ही रोजगार की कतार में लग जाए तो फिर गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा।
ग्राम पंचायत जनापुर में नरेगा में भ्रष्टाचार के इस मामले में ऐसा ही कुछ सामने आया हैं। जहां भाजपा मंडल अध्यक्ष लीलाराम प्रजापत की पत्नी ने 53 दिन की फर्जी हाजिरी लगवाकर भुगतान उठा लिया।
आपको बता दें कि भाजपा मंडल अध्यक्ष लीलाराम प्रजापत पेशे से बड़े कॉन्ट्रेक्टर और आयकर दाता हैं। अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी पत्नी भी आयकर जमा करवाती हैं। ऐसे भ्रष्ट नेता ही गरीब परिवारों के हक पर कुंडली मार रहे हैं।

पर्यवेक्षणीय उदासीनता
ग्राम पंचायत जनापुर में नरेगा कार्य में हुए भ्रष्टाचार के मामले में केवल रोजगार सहायक को उत्तरदायी ठहराना गले नहीं उतर रहा हैं।
इस गबन के मामले में जेटीए, भुगतान के लिए विकास अधिकारी, सरपंच भी पर्यवेक्षणीय उदासीनता के लिए जिम्मेदार हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनापुर ग्राम पंचायत में नाड़ी खुदाई हो या कोई भी विकास कार्य हो,सभी कार्यो में जेईएन को रुपए देने के लिए फर्जी मस्टररोल भरकर रुपये दिए जाते थे। ऐसे में सवाल उठता है की जब मौके पर कार्य नही हुआ हैं तो उसकी एमबी कैसे भरी गई और भुगतान कैसे हो गया?

कार्रवाई के नाम पर भी खानापूर्ति
नरेगा खुद एक कानून हैं। जब मनरेगा में कोई गबन या भ्रष्टाचार होता हैं तो उसकी जांच सीईओ या जांच दल को बिना किसी विलंब के प्रशासनिक विभाग, वित्त विभाग एवं महालेखाकार को देनी होती हैं।
पूरे मामले की सूचना आयुक्त एवं शासन सचिव,जिले के पुलिस अधीक्षक को भी देने का प्रावधान हैं तथा विकास अधिकारी के मार्फ़त पुलिस थाने में विस्तृत एवं तथ्यात्मक रिपोर्ट दर्ज करवानी होती हैं, लेकिन आज दिन तक जांच दल या किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट नहीं भेजी है।
इतना ही नहीं, कनिष्ठ तकनीकी पृथ्वीराज सिंह की सेवा समाप्ति करने एवम कानूनी कार्रवाई भी करनी थी लेकिन जांच अधिकारी ने केवल रोजगार सहायक के खिलाफ रिकवरी के आदेश निकालकर खानापूर्ति कर दी है। 
ऐसे में इस पूरे गबन के मामले में अधिकारियों की सांठगांठ से आरोपियों को बचाया जा रहा हैं।