जालोर पुलिस ने परिवादी को ही धमकाया: जालोर के जसवंतपुरा थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कराने आए परिवादी को ही धमकाया, जेल में डालने की दी धमकी
जालोर के जसवंतपुरा पुलिस थाने में परिवादी के साथ बदसलुकी और धमकी देने का मामला सामने आया है। जीतपुरा में जबरसिंह पुत्र नगसिंह के घर में कुछ लोगों ने जबरन घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट की तथा लज्जा भंग करने का प्रयास किया। पुलिस में रिपोर्ट दी गई तो पुलिस ने परिवादी को ही जेल में डालने की धमकी दे दी।
जसवन्तपुरा।
एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री आजजन को सुरक्षा और शांतिपूर्ण माहौल प्रदान करने के लिए तत्पर है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की पुलिस कानून का मजाक बनाकर परिवादियों को ही परेशान करने में लगी है। सिरोही में शराब दुकान को पेट्रोल से जलाने के मामले में जहां पुलिस ने परिवादी को ही शांति भंग में हिरासत में लेकर कानून का मजाक बना दिया, वहीं अब जालोर के जसवंतपुरा पुलिस थाने में परिवादी के साथ बदसलुकी और धमकी देने का मामला सामने आया है।
जानकारी के मुताबिक जसवंतपुरा थाना इलाके के नजदीकी गांव जीतपुरा में जबरसिंह पुत्र नगसिंह के घर में कुछ लोगों ने जबरन घुसकर महिलाओं के साथ मारपीट की तथा लज्जा भंग करने का प्रयास किया। बावजूद इसके जब परिवादी द्वारा पुलिस में रिपोर्ट दी गई तो पुलिस ने परिवादी को ही जेल में डालने की धमकी दे दी। जबर सिंह ने बताया कि शुक्रवार रात राण सिंह, पूरण सिंह, भंवर सिंह सहित दर्जनभर व्यक्ति धारदार हथियार,लाठियों के साथ मेरे मकान पर हमला बोलकर पुरुष और महिला सदस्यों के साथ मारपीट की। आरोपितों ने महिलाओं की लज्जा भंग करने की कोशिश की गई।
विधायक की दखल के बाद लिया परिवाद
परिवादी जबर सिंह ने बताया कि इस मामले की शिकायत पर मैं जसवंतपुरा थाना गया तो थानाधिकारी मनीष सोनी ने लिखित रिपोर्ट पढ़कर रिपोर्ट को फेंक दिया तथा हवालात में बंद करने की धमकी दी गई। इसके बाद परिवादी ने जिला पुलिस कंट्रोल रूम और क्षेत्रीय विधायक को दूरभाष पर मामले की सूचना दी। इसके बाद भी थानाधिकारी ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की, जबकि अप्रार्थीगण पहले से थाने में ही थानेदार के सामने कुर्सी पर बैठे थे।
आखिर पुलिस अपराधियो को क्यो दे रही संरक्षण
रात को अनाधिकृत रूप से मकान में प्रवेश कर महिलाओं के साथ मारपीट करना,लज्जा भंग तक करने पर भी पुलिस परिवादी की सुरक्षा और सहायता करने के बजाय बदमाशों का बचाव करती दिखी। परिवादी को ही पुलिस धमकाने लगी और बदमाशों का परिवादी के सामने ही पुलिस द्वारा आवभगत की जा रही है। सरकार के सख्त नियम हैं महिला अत्याचार पर हर हालत में मुकदमा दर्ज होगा। बावजूद इसके पुलिस आरोपितों के साथ मिलकर परिवादी को ही परेशान कर रही है।
रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर हो सकती है जेल
गृह मंत्रालय ने राज्यों और संघशासित क्षेत्रों से कहा है कि वे सभी थानों को स्पष्ट रूप से निर्देश दें कि किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना मिलने पर यदि एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो भारतीय दंड संहिता की धारा 166-ए के तहत ड्यूटी पुलिस अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें एक साल तक के कारावास का प्रावधान है।
एसएचओ ने दी धमकी
मेरे द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने हेतु रिपोर्ट लेकर थाने पहुंचने पर मुकदमा दर्ज करने के बजाय थानाधिकारी ने रिपोर्ट को फेंककर अंदर बंद करने की धमकी दी।
जबरसिंह (पीड़ित)
ऐसी रिपोर्ट कई आती है
जब मामले में थानाधिकारी मनीष सोनी से बातचीत की गई तो उन्होंने कह दिया कि ऐसी रिपोर्ट कई आती है। परिवादी से शिकायत प्राप्त हुई है ,उसे परिवाद में रखा है। वहीं दूसरी ओर जालोर पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह से जब इस मामले को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला मेरे ध्यान में नहीं हैं, पता करवाता हूँ। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।