राजनैतिक रसूखदारों के आगे प्रशासन बेबस: सिरोही के माउंट आबू में नो कंस्ट्रक्शन जोन में बनाई जा रही पांच सितारा होटल, विधायक की शिकायत के बावजूद सब मौन!
सिरोही के माउंट आबू हिल स्टेशन पर जहां लोगों को एक शौचालय निर्माण की अनुमति तक नहीं मिलती, वहीं पांच सितारा होटल का निर्माण चर्चा का विषय बना हुआ है। होटल में प्रदेश के बड़े राजनेताओं के साथ एक पूर्व सांसद का नाम सामने आ रहा है।
सिरोही।
गुजरात सीमा से सटा सिरोही जिला अवैध शराब तस्करी से लेकर जिला परिषद के लाखों रुपए के घोटाले के मामले में राजधानी जयपुर तक बदनाम हो चुका। अब सिरोही एक बार फिर अवैध गतिविधियों को लेकर चर्चा में है। इस बार भी मामला हाई प्रोफाइल लोगों से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार के मुखिया के नजदीकियों पर इस अवैध गतिविधियों के दाग लग रहे है। आप को बता दें कि इस बार सिरोही हिल स्टेशन माउंट आबू में अवैध पांच सितारा होटल के निर्माण को लेकर चर्चा में है। नो कंस्ट्रेक्शन जोन माउंट आबू में जहां आम लोगों को एक 5गुणा 5 का शौचालय तक निर्माण करने की अनुमति नहीं मिलती है, वहीं हजारों वर्ग गज भूमि में एक आलीशान पांच सितारा होटल का निर्माण किया जा रहा है और प्रशासन मौन है।
इतना ही नहीं, प्रशासन की उदासीनता का आलम तो देखिए लोगों की शिकायत पर तो ध्यान ही नहीं दिया जाता। हालात सिरोही जिले के विधायक की शिकायत का यह है कि जिला प्रशासन की ओर से जांच के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी कर दी गई और अवैध निर्माण को लीगल बताते हुए सब शिकायत का निस्तारण कर दिया गया।
यह है मामला
प्रदेश के एकमात्र हिलस्टेशन माउंट आबू में अवैध निर्माण का मामला सामने आया हैं। यहां रिपेयरिंग की स्वीकृति की आड़ में लिमडी कोठी में अवैध निर्माण कार्य किया जा रहा है। लिमडी कोठी को पांच सितारा होटल बनाया जा रहा है। यह होटल किस की है, इसके मालिक कौन है, इसमें निर्माण कार्य की अनुमति किस ने ली, इन सवालों के जवाब स्थानीय प्रशासन के पास नहीं है।
पिंडवाड़ा विधायक ने की शिकायत
आबू पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया ने माउंट आबू में एक पांच सितारा होटल के अवैध निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को शिकायत की। इस पर जिला कलेक्टर भगवतीप्रसाद कलाल ने इसकी जांच करवाकर पूरी शिकायत को ही झूठा साबित कर दिया। कलेक्टर द्वारा करवाई गई जांच रिपोर्ट में यह बताया गया हैं कि लिमडी कोठी रियासत काल में बना तीन मंजिला विशाल भवन हैं। जो वर्तमान में जीर्णशीर्ण होने से इस भवन को रिपेयरिंग किया जा रहा हैं। यानी विधायक समाराम गरासिया की पूरी शिकायत को ही जिला प्रशासन ने झूठी शिकायत साबित कर दिया।
कौन हैं लिमडी कोठी का मालिक?
माउंट आबू में निर्माणाधीन यह पांच सितारा होटल जो रियासत काल में गुजरात की लोमड़ी रियासत की प्रॉपर्टी हुआ करती थी। जो लिमडी कोठी के नाम से जानी जाती हैं। कुछ वर्षों पूर्व इस कोठी का बेचान किया गया। इसमें प्रदेश के बड़े राजनेता द्वारा खरीदने की बातें सामने आ रही हैं। हालांकि इस प्रोपर्टी का बेचान किसके नाम हुआ ये पुख्ता तौर पर अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ हैं। और ना ही प्रशासनिक अधिकारी इस नाम को उजागर कर रहे हैं।
अनुमति देने वाले को कौन देगा अनुमति...
ऐसे में हमारी टीम इस नाम की जानकारी जुटाने के लिए माउंट आबू स्थित लिमडी कोठी पहुंची। जहां पर मुख्य दरवाजे को बन्द करके वहां पहरा बिठाया गया। किसी भी व्यक्ति को इस प्रोपर्टी के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता हैं। दरवाजे पर तैनात व्यक्ति से जब हमने अंदर जाने के लिए पूछा तो उसने हमें अंदर जाने से साफ मना कर दिया। तब हमारी टीम ने स्टिंग शुरू करते हुए उस व्यक्ति से पूछा कि माउंट आबू में निर्माण कार्य पर रोक लगी हुई हैं उसके बावजूद यहां निर्माण कार्य कैसे चल रहा हैं तो उस व्यक्ति ने बताया कि "ये प्रोपर्टी प्रदेश के मुखिया की हैं। वो खुद सरकार हैं, उनको किसी के परमिशन की आवश्यकता नहीं हैं। वो तो खुद परमिशन देने वाले हैं। उनको कौन परमिशन देगा।" जब हमने उससे सवाल किया कि कोई और भी पार्टनर हैं या अकेले साहब ही इसके मालिक हैं? तो उसने बताया कि "जाखड़ साहब भी पार्टनर हैं।" हमने कहा कौन जाखड़ साहब तो बोला मौन हो गया।
...और इनको नहीं मिल रही मकान की अनुमति
मेरा मकान बिल्कुल जर्जर हो चुका हैं। मेरा मकान कभी भी गिर सकता हैं।छत का ज्यादातर हिस्सा टूटकर कर हर रोज गिर रहा हैं। मैंने मेरे मकान के रिपेयरिंग के लिए वर्ष 2019 से SDM कार्यालय में एप्लिकेशन लगाई हुई हैं। पर मुझे आज दिन तक रिपेयरिंग की परमिशन नहीं मिल रही हैं। मेरा मकान कभी भी गिर कर मेरे परिवार के सदस्यों के लिए जान का खतरा बन सकता हैं पर प्रशासन मेरी गुहार नहीं सुन रहा हैं। पर राजनैतिक पहुंच वाले लोगो को नए निर्माण करने की परमिशन देने में देरी नहीं करता हैं। पर आम लोगो को परमिशन के लिए चप्पलें घिसनी पड़ती हैं।
◆ अंजली साँचा, स्थानीय निवासी
माउंट आबू के कई स्थानीय निवासी हैं जो अपने घरों की रिपेयरिंग के लिए कई वर्षों से उपखण्ड प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं पर उन्हें परमिशन देने में प्रशासन कई तरह के रोड़े अटका कर उन्हें रिपेयरिंग की परमिशन नहीं दे रहा हैं। वही दूसरी तरफ राजनैतिक रसूखात वाले लोगो को भव्य होटल बनाने की परमिशन देना ये शक जरूर पैदा कर रहा हैं कि कहीं न कहीं दाल में काला जरूर हैं।
◆ सुनील आचार्य, नेता प्रतिपक्ष, नगरपालिका, आबूपर्वत
प्रोपर्टी की रिपेयरिंग की ली अनुमति
इसकी शिकायत मिलने पर हमने जांच करवाई हैं। वहां पर सिर्फ रिपेयरिंग का काम चल रहा हैं। वहां किसी भी प्रकार का नया निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा हैं। किसी की प्रॉपर्टी अगर रिपेयरिंग करनी हैं तो वहां उपखंड प्रशासन द्वारा स्वीकृति जारी होती हैं और इस प्रोपर्टी के रिपेयरिंग की भी परमिशन उपखण्ड प्रशासन द्वारा जारी की हुई हैं। यह प्रोपर्टी किसकी हैं और रिपेयरिंग की स्वीकृति किसके नाम जारी हुई हैं इसकी जानकारी नहीं हैं। बाकी बाज़ार में जो नाम सामने आ रहे हैं वो आपको भी पता हैं और मुझे भी।
◆भगवतीप्रसाद कलाल, जिला कलेक्टर, सिरोही