निजीकरण के विरोध में बैंकों की हडताल: सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक बंद, हडताल से 20 हजार करोड रुपए का कार्य प्रभावित

आज पूरे राज्य में 8200 ब्रांचों में काम पूरी तरह प्रभावित हो गया। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 10 अन्य बैंक यूनियनों ने इसका विरोध किया है। जयपुर (Jaipur) में अम्बेडकर सर्किल के पास एलआईसी भवन में सभी यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने विरोध किया, जिसमें महिला बैंक कर्मचारी भी शामिल हुई।

जयपुर।
देश (India) के दो बड़े सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण (privatization) करने के विरोध में आज पूरे देश में बैंक कर्मचारी हड़ताल ( strike) पर है। अब बात राजस्थान (Rajasthan ) की करें तो आज पूरे राज्य में 8200 ब्रांचों में काम पूरी तरह प्रभावित हो गया। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 10 अन्य बैंक यूनियनों ने इसका विरोध किया है। जयपुर (Jaipur) में अम्बेडकर सर्किल के पास एलआईसी भवन में सभी यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने विरोध किया, जिसमें महिला बैंक कर्मचारी भी शामिल हुई। प्रदर्शनकारियों ने केन्द्र की मोदी सरकार (Modi Government ) के खिलाफ नारेबाजी की और बैंकों के निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की। यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि आज केन्द्र सरकार बैंकों का निजीकरण करके बड़े कॉरपोरेट समूहों को लाभ पहुंचाना चाहती है, जबकि सार्वजनिक बैंक आमजनता की सहुलियत के लिए संचालित होते है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा (Mahesh Mishra
)  ने बताया कि आज देश में केन्द्र हो या राज्य की सरकारें उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन सार्वजनिक बैंक ही करते है। आज सार्वजनिक उपक्रम (Public Undertakings) के बैंक आमजनता से सीधे जुड़े है। इसके अलावा प्राइवेट बैंक की तरफ देखे तो वहां आज खाता खुलवाने के लिए न्यूनतम 5 से 10 हजार रुपए लगते है, जबकि सरकारी बैंकों में जनधन खाते के जरिए जीरो बैलेंस पर खाता खोला जाता है। लेकिन उसके बावजूद सरकारें सरकारी बैंकों का अस्तीत्व खत्म करने में जुटी है। संयोजक मिश्रा ने बताया कि आज और कल प्रदेशभर में 8200 ब्रांचों में काम करने वाले लगभग 36 हजार कर्मचारी पूरी तरह काम बंद रखेंगे। इससे प्रदेश में लगभग 20 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल में देशभर की बैंक यूनियनों के अलावा केन्द्रीय कर्मचारियों से जुड़ी यूनियनों ने भी समर्थन दिया है।