पुलिस की जांच पर कोर्ट कार्रवाई: पुलिस की रिपोर्ट और जांच के बाद ऐसा लग रहा है जैसे आरोपियों को बचाने का हो रहा है प्रयास, पुलिस पर 25 हजार का जुर्माना: कोर्ट
पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर अब कोर्ट ने सख्य रवैया अपनाया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि पुलिस की जांच रिपोर्ट देखने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस पर ही 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर जुर्माना लगाया है
दिल्ली।
पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर अब कोर्ट ने सख्य रवैया अपनाया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि पुलिस की जांच रिपोर्ट देखने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने पुलिस पर ही 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जानकारी के मुताबिक पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने पुलिस को घोंडा निवासी की अपील पर केस दर्ज करने को कहा था। इस व्यक्ति ने कहा था कि दंगों के दौरान उसकी आंख में गोली लगी थी। दिल्ली पुलिस ने FIR रजिस्टर करने के आदेश का विरोध किया था। इस मामले पर हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस पर सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा, "ऐसा दिख रहा है कि पुलिस ने अलग FIR में आरोपियों के बचाने के लिए रास्ता बनाया और दुख की बात है कि पुलिस अधिकारी अपनी जांच के दौरान संवैधानिक कर्तव्य निभाने में फेल हो गए।'गौरतलब है कि गत वर्ष CAA के विरोध-प्रदर्शनों के बीच उत्तर-पूर्व दिल्ली में 24 फरवरी को दंगे भड़के थे। इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। पुलिस ने इस मामले में 751 एफआईआर दर्ज की हैं।
दिल्ली की भजनपुरा पुलिस पर जुर्माना
दिल्ली हाईकोर्ट ने भजनपुरा पुलिस (Bhajanpura Police) पर जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना थानाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाया गया है। एडिशनल सेशन जज विनोद यादव(Additional Sessions Judge Vinod Yadav) ने इस ऑर्डर की कॉपी पुलिस कमिश्नर को भी भिजवाई है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच और निगरानी का स्तर पुलिस कमिश्नर की नजर में भी आना चाहिए। पुलिस की जांच हास्यास्पद (police investigation funny)रही। अदालत ने पुलिस कमिश्नर से कहा कि इस मामले को देखते हुए सुधार के लिए कदम उठाए जाएं।
यह है मामला
अक्टूबर 2020 में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि मो. नासिर की शिकायत पर 24 घंटे के भीतर मुकदमा दर्ज किया जाए। नासिर ने अपनी शिकायत में कहा था कि 24 फरवरी 2020 को उसके ऊपर फायरिंग की गई। एक गोली उसकी बाईं आंख में लगी थी। नासिर ने अपनी शिकायत में नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील, नरेश गौर और अन्य लोगों को आरोपी बनाया था। इसके बावजूद जब कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो नासिर कोर्ट पहुंचे थे।
दिल्ली पुलिस की खामियां तक गिनाई कोर्ट ने
मामले में पुलिस कार्रवाई को लेकर नाराज जज ने खामियां तक गिनाई। इसमें जज विनोद यादव ने कहा कि नासिर के साथ घटना 24 फरवरी की शाम को उत्तरी घोंडा में हुई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने FIR 25 फरवरी को मोहनपुर, मौजपुर के संबंध में दर्ज की। Court ने यहां तक कहां कि गोली लगने से घायल हुए 7 लोगों के बारे में जांच एजेंसी को जानकारी थी, लेकिन फिर भी FIR दर्ज करते समय IPC की धारा 307 और आर्म्स एक्ट (Arms Act) की धारा 25 नहीं लगाई गई। कोर्ट में पुलिस ने कहा था कि दिल्ली दंगा मामले में पहले से ही एक FIR दर्ज है। इसमें नासिर के अलावा 6 अन्य लोगों के घायल होने की बात भी दर्ज है। जिन लोगों का नाम नासिर ने अपनी शिकायत में लिखा है, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। नरेश और उत्तम तो उस वक्त दिल्ली में ही मौजूद नहीं थे और सुशील अपने दफ्तर में था।