भारत: सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस भेजा

नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च पदस्थ अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज तैयार करने के आरोप में गिरफ्तार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका

नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उच्च पदस्थ अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज तैयार करने के आरोप में गिरफ्तार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया। मामला राज्य में 2002 में हुए दंगों से जुड़ा है।

न्यायमूर्ति यू.यू. ललित ने तीस्ता की जमानत याचिका की जांच करने पर सहमति जताई और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होना तय की। शीर्ष अदालत में तीस्ता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट ने किया।

शीर्ष अदालत ने कहा, तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नोटिस का जवाब गुरुवार को दिया जा सकता है। इसके लिए राज्य के स्थायी वकील की सेवा ली जा सकती है।

गुजरात हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एसआईटी को नोटिस जारी कर तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.बी. श्रीकुमार द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर जवाब मांगा था। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई सितंबर में करने वाला है। शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी अपील में तीस्ता ने अपनी जमानत याचिका की सुनवाई में डेढ़ महीने के लंबे अंतराल पर आपत्ति जताई और सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया।

जुलाई में अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने तीस्ता और श्रीकुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने जमानत आवेदन को खारिज करते हुए कहा था : यदि आवेदकों - अभियुक्तों को जमानत दी जाती है, तो इससे गलत काम करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। भले ही आवेदक महिला है और दूसरा सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी वृद्ध व्यक्ति, पर उन्हें जमानत पर रिहा करने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में हिंसा के दौरान मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी द्वारा दायर अपील 24 जून को खारिज कर दी थी, जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी से मिली क्लीन चिट को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि इस मामले की कार्यवाही पिछले 16 वर्षो से चल रही है (8 जून, 2006 को 67 पृष्ठों की शिकायत दायर करने से लेकर 15 अप्रैल, 2013 को 514 पृष्ठ की विरोध याचिका दायर करने तक), जिसमें सवाल करने की धृष्टता भी शामिल है।

शीर्ष अदालत ने कहा, वास्तव में, प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।

--आईएएनएस

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