जालोर रामसीन पुलिस थाने की कारस्तानी: जालोर की रामसीन थाना पुलिस ने एसपी को ही किया गुमराह, एएनएम से लज्जा भंग मामले में एसपी को दी गलत जानकारी, पीड़िता की दर्ज नहीं की रिपोर्ट

रामसीन पुलिस थाने में एएनएम की शिकायत पर दर्ज नहीं की रिपोर्ट, पीड़िता को लगवाए चक्कर, बनाया राजीनामे का दबाव, एसपी ने दर्ज करवाई एफआईआर, पीड़िता की मदद में फर्स्ट भारत की अहम भूमिका।

जालोर। 
जालोर पुलिस जिले के कप्तान को ही गुमराह कर रही हैंं। मामला जिले के रामसीन पुलिस थाना इलाके का है। जहां थाना इलाके की एक एएनएम से लज्जाभंग तथा सरकारी रिकॉर्ड के क्षतिग्रस्त करने के मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं करने का मामला सामने आया।

रामसीन पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर मामला दर्ज नहीं किया, बल्कि आरोपितों के साथ मिलकर पीड़िता पर राजीनामे का दबाव बनाया। 
जालोर पुलिस की लापरवाही और अपराधियों से मिलीभगत का आलम तो देखिए पीड़िता को 2 बार थाने से भगा दिया और राजीनामे के बारे में सोचने के​ लिए निर्देश दे दिए।
इतना ही नहीं, पुलिस की कारस्तानी जब जिले के पुलिस अधीक्षक को लगी तो थाना पुलिस ने उन्हें ही गुमराह करते हुए पीड़िता द्वारा राजीनामा करने की बात तक कह दी।

इसके बाद जब पुलिस अधीक्षक ने पीड़िता से बातचीत की तो पीड़िता ने पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं करने की जानकारी दी। इस पर पुलिस अधीक्षक जालोर ने पीड़िता को 14 अप्रेल सुबह पुलिस थाने में जाने के लिए कहा और दूसरी ओर रामसीन थानाधिकारी को पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।  इस मामले में एसपी के निर्देश पर घटना के 24 घंटे बाद रामसीन पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। आरोपितों के खिलाफ राजकार्य में बाधा तथा महिला से लज्जा भंग की धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज की।
यह है मामला
जालोर के रामसीन पुलिस थाना इलाके में कार्यरत एक एएनएम ने 13 अप्रेल को शिकायत दी कि बूगांव निवासी श्याम सुंदर यादव दो दिन पहले सिर में दर्द की दवा लेकर गया था। बुधवार को श्याम सुंदर, इसका बेटा सचिव तथा श्याम सुंदर यादव की पत्नी बुधवार को अस्पताल आए और गाली गलोज करना शुरू कर दिया।

बिना किसी कारण के इन्होंने वीडियो बनाना शुरू कर दिया। श्याम सुंदर यादव को समझाने पर इन लोगों ने लगा पकड़ लिया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए लज्जा भंग करने का प्रयास किया। इस दौरान श्याम सुंदर और सचिन ने सरकारी रिकॉर्ड को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। पीड़िता एएनएन की ओर से इस संबंध में रामसीन पुलिस थाने में श्किायत दी गई। 
पीड़िता को 2 बार भगा दिया पुलिस ने, राजीनामे का दबाव
पीड़िता ने बताया ​कि बुधवार को घटना के बाद दोपहर 1 बजे के लगभग श्याम सुंदर यादव और अन्य के खिलाफ पुलिस थाना रामसीन में एफआईआर दर्ज कराने के लिए गई थी। इस पर ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने यह कहते हुए वापस भेज दिया कि हम मौके पर ही आ रहे है।

इसके बाद जब दो से तीन घंटे बाद भी पुलिस नहीं आई तो शाम को फिर से रामसीन पुलिस थाना गई। इस बार भी ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी ने यह कहा कि आप दूसरे जिले से आकर यहां नौकरी कर रही है। बिना वजह परेशान होगी। घर जाओ और एक बार ​मुकदमे के बारे में सोचकर गुरुवार सुबह आ जाना। पुलिसकर्मी ने यहां पीड़िता से राजीनामा करने का दबाव दिया और आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाने की बात कहीं। 
पुलिस अधीक्षक को किया गुमराह, एसपी ने पीड़िता से की फोन पर बात
इस मामले की जानकारी जब जालोर पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाल को लगी तो उन्होंने थाने से इस मामले में पूछताछ की। यहां रामसीन पुलिस ने एसपी को गुमराह करते हुए मामले में राजीनामा होने बता दिया।

इसके बाद जब एसपी अग्रवाल ने पीड़िता से बातचीत की तो सारा मामला सामने आ गया। एसपी ने पीड़िता को 14 अप्रेल सुबह पुलिस थाना रामसीन जानकर रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए कहा और थानाधिकारी को निर्देशित किया। 

Firstbharat  के संपादक गणपत सिंह मांडोली ने निभाई अहम भूमिका
इस मामले में फर्स्ट भारत के संपादक गणपत सिंह मांडाली की अहम भूमिका रही। पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं होने की जानकारी जब गणपत सिंह को लगी तो उन्होंने इस संबंध में जालोर पुलिस अधीक्षक से बातचीत की। एसपी अग्रवाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गणपत सिंह से पीड़िता के नंबर लिए और स्वयं फोन कर जानकारी चाही। इस के बाद एसपी अग्रवाल ने रामसीन पुलिस थानाधिकारी को रिपोर्ट दर्ज करने के लिए निर्देशित किया। इस संबंध में पीड़िता ने बताया कि एसपी साहब के चलते ही यह मुकदर्मा दर्ज हो पाया है। पुलिसकर्मी इसमें राजीनामा करवाना चाह रहे थे और आरोपितों के साथ दे रहे थे।