सिरोही चिकित्सा विभाग और घोटाले पार्ट 4: Sirohi में सीएमएचओ के पद पर अयोग्य चिकित्सक को कमान, 12 साल न्यूनतम योग्यता लेकिन 4 साल में ही बन गए सीएमएचओ, CMHO को वित्तीय गबन, कार्य में लापरवाही की मिल चुकी चार्जशीट

सिरोही सीएमएचओ पद पर अयोग्य व्यक्ति को लगा दिया गया। महज 4 साल की सर्विस में सीएमएचओ पद पर पहुंचने वाले डॉ राजेश कुमार पर वित्तीय अनियमितता के साथ कार्य में घोर लापरवाही के लग चुके आरोप, बावजूद इसके राजनेताओं की जी हुजुरी के चलते बन गए सीएमएचओ!

गणपत सिंह मांडोली / गजेंद्र सिंह राठौड़

सिरोही।
सिरोही जिले की चिकित्सा व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला स्तर पर चिकित्सा महकमे की कमान संभालने वाला अधिकारी ही अयोग्य है। राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के पद पर ​लगने वाले चिकित्सक  को कम से कम 12 साल का अनुभव होना जरूरी है लेकिन सिरोही जिले के सीएमएचओ का तो प्रोबेशन काल मिलाकर भी 12 साल नहीं हो रहे।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि महज 4 साल की सर्विस पूरी करने वाले चिकित्सक को सिरोही जिले के चिकित्सा विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई।
इससे भी आश्चर्य जनक बात तो यह है कि सीएमएचओ पद के लिए अयोग्य होने के साथ ही सिरोही के वर्तमान सीएमएचओ पर राज्य सरकार की ओर से वित्तीय गबन और कार्य में लापरवाही बरतने के मामले में चार्जशीट तक दी गई, इसके बावजूद राजनेताओं की जी हुजूरी के बदौलत नियमों के खिलाफ जाकर प्रमोशन पर प्रमोशन दिए गए।
https://firstbharat.in/  की ओर से चलाई जा रही सिरोही चिकित्सा विभाग एवं घोटाले पार्ट 4 सीरीज में जिले के सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार द्वारा किए गए घोटालों को उजागर किया जा रहा है। सरकार के नियम कायदे और सिरोही के ​वर्तमान सीएमएचओ द्वारा किए गए गबन, भ्रष्टाचार और कार्य में लापरवाही की फर्स्ट भारत ने पड़ताल की। पेश है एक रिपोर्ट:—

फरवरी 2015 में बतौर चिकित्सक नियुक्ति आदेश, 2019 में बने सीएमएचओ
सिरोही के वर्तमान सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार चिकित्सा सेवा में 2015 में आए थे। राज्य सरकार की ओर से राजेश कुमार को फरवरी 2015 में बतौर चिकित्सा अधिकारी के पद पर नियुक्ति देने के आदेश जारी किए थे। 2015 से लेकर मार्च 2019 के दौरान डॉ राजेश कुमार हनुमानगढ़, उदयपुर होते हुए सिरोही के रेवदर बीसीएमओ और इसके बाद सिरोही सीएमएचओ पद पर पहुंच गए।

आश्चर्य की बात यह है कि राजेश कुमार केवल 4 साल की सर्विस में सीएमएचओ बन गए।  इससे पहले सिरोही के रेवदर में बीसीएमओ के पद पर भी रह चुके। उदयपुर के ऋषभदेव में बीसीएमओ के पद भी कार्य कर चुके। 


सरकार के आदेश ही 12 साल के तो 4 साल वाला कैसे बन गया सीएमएचओ
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव आशुतोष ए टी पेडणेकर की ओर से 15 मार्च को एक आदेश जारी किए गए है। इस आदेश के अनुसार ब्लॉक मुख्य ​चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा संयुक्त निदेशक के पद पर लगने वाले व्यक्ति के लिए योग्यता जारी की गई। इन आदेशों के मुताबिक जिस चिकित्सक द्वारा 12 साल की नियमित सेवा पूरी कर ली गई हो या पे ग्रेड 7600 हो तो वह सीएमएचओ पद के लिए दावा कर सकता है। लेकिन इस 12 साल के अनुभव के साथ ही चिकित्सक के खिलाफ वित्तीय गबन या अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। 
लेकिन सिरोही सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार के पास 12 साल का अनुभव तो अभी तक नहीं है। वहीं इनको चिकित्सा विभाग की ओर से कार्य में लापरवाही बरतने तथा वित्तीय अनियमितता बरतने पर दोषी तक माना गया। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि डॉ राजेश कुमार को किस आधार पर सिरोही जिले का सीएमएचओ बनाया गया! यहां आप को बता दें कि 15 मार्च 2022 से पहले 08 सितंबर 2015 को एक आदेश चिकित्सा विभाग की ओर से जारी किया गया था, इसमें सीएमएचओ के लिए 20 साल का सेवा अनुभव, एमडी या इसके समकक्ष डिग्री होना आवश्यक था।

उदयपुर के ऋषभदेव में बीसीएमओ के दौरान कार्य में लापरवाही 
सिरोही के वर्तमान सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार को कार्य में लापरवाही बरतने पर 17 सीसीए के तहत नोटिस जारी किए गए थे। इसमें इनके खिलाफ कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप सही पाया गया था। जानकारी के मुताबिक बच्चों में ​टीकाकरण की महत्वकांक्षी योजना मिशन इन्द्रधनुष के फेज 2 में डॉ राजेश कुमार द्वारा लापरवाही बरती गई। 2 वर्ष तक के बच्चे टीकाकरण से वंचित पाए गए, जबकि इनके स्तर पर संपूर्ण टीकाकरण कर दिया गया। इस पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर के निदेशक की ओर से इन्हें दोषी माना गया।

आशा सहयोगिनियों के भुगतान में किया गबन, जांच के बाद एपीओ
सिरोही जिले के वर्तमान सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार द्वारा  वित्तीय अनियमितता की गई। इन पर आशाओं के रुपए गबन करने का आरोप लगे। आरोपों की जांच हुई, नतीजा इन्हें आशाओं के रुपए गबन करने के मामले में दोषी पाया गया तथा एपीओ कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक 2016 में इन्होंने आशाओं का करीबन 52000 रुपए का भुगतान स्वयं के स्तर पर उठा लिया तथा 6 माह तक इनका भुगतान नहीं किया। जब शिकायत की गई तो नोटबंदी के बाद आशाओं को पुराने नोट थमाकर मामला दबाने का प्रयास किया गया। आशाओं की शिकायत पर तत्कालीन बीसीएमओ ऋषभदेव जिला उदयपुर ने डॉ राजेश कुमार को घोर वित्तीय अनियमितता का दोषी माना। इसके बाद डॉ राजेश कुमार को दिसंबर 2016 में वित्तीय गबन मामले की जांच पूर्ण होने तक एपीओ कर दिया गया। इसके बाद 10 दिसंबर 2016 को बीसीएमओ ऋषभदेव ने इनके खिलाफ जांच कर वित्तीय अनियमितता एवं राजकीय राशि अपने पास रखने का दोषी माना तथा इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए अधिकारियों को रिपोर्ट पेश की।

उदयपुर से रेवदर पोस्टिंग, यहां भी एक साथ 2 आवास पर कब्जा
उदयपुर के सागवाडा एमओ, रिषभदेव बीसीएमओ के बाद सिरोही जिले के रेवदर सीएचसी पर तैनात डॉ राजेश कुमार आदतन अवैध कार्य करना शुरू कर दिया। रेवदर में पोस्टिंग के बाद चिकित्सक आवास के तौर पर एक नहीं दो पर कब्जा कर लिया। डॉ राजेश कुमार ने करीब 1 साल तक दो चिकित्सक आवास पर अवैध रूप से कब्जा किया।

इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेवदर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एस के सक्सेना द्वारा डॉ राजेश कुमार को आवास खाली करने के लिए नोटिस तक दिया, लेकिन इसके बावजूद डॉ राजेश ने दो आवास पर अनाधिकृत रूप से कब्जा जमाए रखा। इस आदेशों की प्रति तत्कालीन कलेक्टर, सीएमएचओ तक को भेज दी गई है।

बताया जा रहा है कि डॉ राजेश कुमार को प्रथम फ्लोर पर आवास नियु​क्त था, लेकिन डॉ मीनू यादव द्वारा ग्राउंड फ्लोर पर बना आवास खाली करने पर अनाधिकृत रूप से  उसमें रहना शुरू कर दिया। इस संंबंध में भी डॉ राजेश कुमार के खिलाफ लिखित में कार्रवाई की गई, लेकिन राजनेताओं तक पहुंच के चलते मामला रफा दफा हो गया। 

बड़ा सवाल:

डॉ राजेश कुमार के चिकित्सक सेवा के करीबन 7 साल के दौरान वित्तीय अनियमितता, कार्य में घोर लापरवाही तथा सीएमएचओ पद के मापदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद ऐसी क्या विशेषता देखी गई कि इन्हें सिरोही जिले का सीएमएचओ बना दिया गया!

यह सवाल सीएमएचओ सिरोही डॉ राजेश कुमार के लिए ही नहीं, बल्कि सिरोही जिले के राजनेताओं से भी है, जिनकी उदासीनता के चलते सिरोही जिले में ऐसे कर्मचारी को सीएमएचओ बना दिया!