सिरोही: एसपी का व्हाट्सएप कॉल का प्रेम, सीयूजी नंबर गनमैन के पास, कई नंबर ब्लैकलिस्ट में

सिरोही ज़िला पुलिस कप्तान हिम्मत अभिलाष टांक को इन दिनों पुलिस महकमे से मिले सरकारी सिम से परहेज और व्हाट्सएप काल से विशेष प्रेम काफी चर्चा बन रहा है और, यह भी है कि कप्तान को सरकारी नंबर से काफी एलर्जी हो रही है।

  • आखिर सरकारी सिम से बात करने के एसपी क्यों करते परहेज??
  • एसपी के व्हाट्सएप्प कॉल को लेकर जिलेभर में चर्चा का विषय

सिरोही ज़िला पुलिस कप्तान हिम्मत अभिलाष टांक को इन दिनों पुलिस महकमे से मिले सरकारी सिम से परहेज और व्हाट्सएप काल से विशेष प्रेम काफी चर्चा बन रहा है। और, यह भी है कि कप्तान को सरकारी नंबर से काफी एलर्जी हो रही है।यही कारण है कि सिरोही एसपी साहब को मिली सीयूजी सिम को उन्होंने अपने गनमैन को दे रखी है।इतना ही नही एसपी साहब को सरकारी सिम से एलर्जी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके मोबाईल पर आने वाले कॉल पर भी बात नही करते है।इन सबके पीछे वजह क्या है यह तो केवल और केवल सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक ही बता सकते है। बहरहाल एसपी हिम्मत अभिलाष टांक की इस कार्यशैली को लेकर जिलेभर में चर्चा का दौर है।


एसपी साहब की इस कार्यशैली से कयासों का दौर-

सिरोही एसपी द्वारा अपने सरकारी नंबर पर आने वाले कॉल्स को सीधे काँट देना समेत किसी से भी सरकारी सिम से बात नही करने को लेकर कयासों का दौर जारी है।लोग अपने अपने हिसाब से कयास लगा रहे है लोगों में इस बात की बेहद चर्चा है कि आजकल स्मार्टफोन का जमाना है और स्मार्टफोन में आए कॉल रिकॉर्डिंग सिस्टम से एसपी हिम्मत अभिलाष टांक को खतरा महसूस हो रहा है।बहरहाल वजह कोई भी हो लेकिन इस बात को चर्चा जोरों पर है और सभी अपने अपने हिसाब से कयास भी लगा रहे है।

जब थे जालोर,उस समय भी विवादों से रहा गहरा नाता-

सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक इससे पहले जालोर से एसपी भी रह चुके है।एसपी साहब जालोर में भी विवादों के चलते सुर्खियों में आ चुके है।दरअसल सांचौर दौरे पर आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने एसपी की शिकायत की थी।इतना ही नही बागोड़ा थाने में डोडा-पोस्त प्रकरण में थाने पर डोडे-पोस्ट मामले में खरीद फरोख्त के आरोप के बाद उच्च स्तर से जांच शुरू की गई।सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी जालोर एसपी हिम्मत अभिलाष टांक पर गंभीर आरोप लगाए थे।इसी प्रकार जिलेभर में अवैध बजरी खनन मामलो में भी एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग चुके है।
चर्चा इस बात की भी है कि जालोर में विवादों का मुख्य कारण भी एक कॉल रिकॉर्डिंग ही थी।यही कारण है कि सिरोही आते ही एसपी साहब ने नॉर्मल कॉल से परहेज कर रखा है।

गनमैन के पास सीयूजी नंबर-

सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक गुड़ पुलिसिंग को लेकर कितने संजीदा है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पुलिस महकमे से आवंटित सिम को अपने गनमैन संदीप कुमार को दे रखी है।कई बार ऐसी गुप्त सूचनाएं होती है जो लोग सीधे एसपी से बताते है और उन्ही सूचनाओं से कई वांछित पुलिस गिरफ्त में आते है लेकिन यहां तो एसपी साहब से बात करने के लिए किया कॉल तो उनके गनमैन उठाते है ऐसे में आमजन सीधी सूचना गनमेन को देने भी डर रहा है।

ये कैसी कारस्तानी-एक रिंग और कॉल कट-

इसे कारस्तानी नही कहा जाए तो और क्या कहा जाए जब जिम्मेदार आईपीएस अधिकारी जिसके पास पूरे ज़िला पुलिस की कमान हो और उन्ही के द्वारा अपने सरकारी नंबर पर किसी का कॉल आए एक रिंग बजे और कॉल सीधा कट जाए।
पूरे मामले में अब सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक की इस कार्यशैली की जमकर निंदा की जा रही है।

लाईनहाजिर को मलाईदार थाने में पोस्टिंग देने से भी हुई थी थू-थू

सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक ने पिछले दिनों अपने ही जाती बिरादरी के एक दागी हैड कांस्टेबल जो कि लाईन में तैनात था उसे मलाईदार मंडार थाने में पोस्टिंग की थी।यही बात अखबारों समेत सोशल मीडिया पर सुर्खिया बनी और एसपी हिम्मत अभिलाष की काफी किरकिरी भी हुई।इतना ही नही लोगो ने सोशल मीडिया पर एसपी जैसे अधिकारी द्वारा जातिवाद करने पर तल्ख टिप्पणियां भी की।गौरतलब है कि छापरी चौकी पर अवैध वसूली की शिकायत के बाद तत्कालीन एसपी पूजा अवाना ने छापरी चौकी के हैड कांस्टेबल राजाराम समेत पूरे चौकी स्टाफ को लाईन हाजिर कर दिया था।

व्हाट्सएप्प कॉल करने के पीछे क्या है राज-

सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष को नार्मल कॉलिंग से काफी एलर्जी है।यही कारण है एसपी साहब जिनसे भी बात करते है सिर्फ और सिर्फ व्हाट्सएप्प कॉल करते है।जिलेवासियों के जहन में एक ही सवाल आखिर एसपी साहब क्यों करते है व्हाट्सएप्प कॉल इसके पीछे क्या है राज??
खैर इस बात का जवाब भी सिरोही पुलिस अधीक्षक हिम्मत अभिलाष टांक ही दे सकते है।

मीडियाकर्मियों से भी नही करते है बात-

एसपी हिम्मत अभिलाष टांक को बात करने में कितनी एलर्जी है इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो जिलेभर के मीडियाकर्मियों से भी फोन पर बात करना पसंद नही करते है।एसपी अपने पर्सनल नंबर पर आए मीडियाकर्मियों के फोन ना तो उठाना मुनासिब समझते है और ना ही उन्हें कॉल बैक करने की जहमत उठाते है।यही कारण है इन दिनों एसपी को लेकर मीडियाकर्मियों में खासा रोष है।कभी भी किसी भी मामले को लेकर जब मीडियाकर्मी उनसे संपर्क कर बात करने की कोशिश करते है तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती है।