विधानसभा में "भेदभाव" के बाद बजट पर रार: सरकार एससी—एसटी और माइनॉरिटी विधायकों को बजट जारी करने में भी कर रही है भेदभाव:मीणा

विधायक और पूर्व मंत्री रमेश मीणा ने राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ हमला बोल दिया है। उन्होंने इस बार सरकार पर एससी, एसटी और माइनॉरिटी विधायकों के इलाकों में बजट देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'जिस तरह प्रदेश में SC,ST और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वह ठीक नहीं है।

सरकार एससी—एसटी और माइनॉरिटी विधायकों को बजट जारी करने में भी कर रही है भेदभाव:मीणा

जयपुर।
प्रदेश की कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से बगावत के सुर उठ रहे है। हालांकि इस बाद मामला विधानसभा में एससी—एसटी और माइनॉरिटी विधायकों द्वारा बोलने की आजादी को लेकर गर्मा गया। दो दिन पहले जहां विधानसभा सत्र के दौरान स्पीकर और विधायक रमेश मीणा के बीच तीखी नोकझोंक हो गई थी, इसके बाद जहां मीणा ने विधानसभा में एससी एसटी विधायकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया, वहीं दूसरी ओर स्पीकर ने पद छोडने तक का हवाला दे दिया। राजधानी में शुक्रवार को इस मामले ने उस वक्त नया मोड आ गया जब विधायक रमेश मीणा ने राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है और मिलने के बाद उनकी समस्या का समाधान नहीं होने पर इस्तीफा तक देने का ऐलान कर दिया।


जानकारी के मुताबिक पायलट खेमे के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री रमेश मीणा ने राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ हमला बोल दिया है। उन्होंने इस बार सरकार पर एससी, एसटी और माइनॉरिटी विधायकों के इलाकों में बजट देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'जिस तरह प्रदेश में SC,ST और माइनॉरिटी के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वह ठीक नहीं है। मैं अपनी समस्याओं को लेकर राहुल गांधी से मिलूंगा। मैंने मुलाकात का वक्त मांगा है। अगर वहां भी सुनवाई में हमारी समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ तो मैं इस्तीफा देने से भी पीछे नहीं हटूंगा। राज्यसभा के चुनावों में भी हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाई थी, लेकिन तब भी उन समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ था।
वरिष्ठ विधायकों तक से नहीं मिल रहे सरकार के मंत्री
विधानसभा के बाहर शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए रमेश मीणा ने कहा कि आज जो मंत्री बने बैठे हैं वे अमीन खां, बाबू लाल बैरवा जैसे वरिष्ठ विधायकों तक की सुनवाई नहीं कर रहे। मंत्रियों से मिलने के लिए जब विधायक पहुंचते हैं तो वे कोई न कोई बहाना बनाकर उनसे मिलते नहीं है। आज जब मंत्री ही विधायकों से नहीं मिल रहे तो मुख्यमंत्री की तो दूर की बात है।
उन्होंने कहा कि सदन में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों को बिना माइक वाली सीटें दी गई है। अब मुख्य सचेतक ठण्डे छींटे देकर मामले को शांत करना चाह रहे हैं। बिना माइक की सीट देना कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है। हम विधायक हैं और अगर हमें अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में ही रखने नहीं दिया जाएगा तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है? रमेश मीणा ने कहा कि हम हमारे लोगों के साथ भेदभाव पर चुप नहीं रह सकते। मुझे मंत्री नहीं बनना। मैं कांग्रेस को कमजोर करने वाली हरकतों के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। आप कांग्रेस की बैकबोन वाले वर्गों के विधायकों को विधानसभा में बोलने नहीं दो। मंत्री उनसे मिले नहीं। उनसे बदतमीजी से बात करें तो कांग्रेस को कमजोर करने का इससे बड़ा कृत्य क्या हो सकता है? 

कई विधायकों को तो टेबलेट चलाना तक नहीं आता
विधायक मीणा ने कहा कि सरकार सदन में माइक व्यवस्था ठीक नहीं होने में भी खर्चा देख रही है। बजट में जब टेबलेट और ब्रीफकेस बांटे तब खर्चा नहीं देखा गया। थोड़ा खर्चा करके अगर माइक व्यवस्था को ठीक करवा ले तो क्या हो जाएगा? आज जिन लोगों को टेबलेट दिए हैं उनमें से 20% भी उसे चलाना नहीं जानते। अगर टेबलेट दिया है तो फिर ब्रीफकेस देने की जरूरत क्यों आ पड़ी? यहां आप को बता दें कि 
 दो दिन पहले विधायक मीणा ने सदन में में SC, ST, OBC और माइनॉरिटी के विधायकों को सदन में बोलने नहीं दिए जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जानबूझकर इन वर्गों से जुड़े विधायकों को विधानसभा में ऐसी जगह बैठाया, जहां माइक ही खराब या बंद पड़े हैं।

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